Namaz Padhne ka Tarika

Namaz Padhne ka Tarika

Namaz Padhne ka Tarika

Namaz, also known as Salah or prayer, is a basic act of worship in Islam. It is a way for Muslims to connect with Allah (God) & express their thanks, submission, & devotion. Namaz consists of particular movements & recitations performed in a direct manner, & it is required for Muslims to perform it five times a day at designated times :

What is Namaz in Hindi ?

नमाज़ शब्द “सलात” (Salah) का उर्दू प्रयाय है और “सलात” अरबी शब्द है कुरान शरीफ में बार बार इस शब्द का इस्तेमाल हुआ है। नमाज़ हर वो आदमी जिसने कलमा पढ़ा है और उसकी उम्र 7 साल से ज्यादा है उसपर पर फ़र्ज़ है। अगर कोई भी मुसलमान नमाज़ को दुनिया के कामों के लिए छोड़ता है तो वो अल्लाह की नजर में गुनेहगार है।

Namaz Padhne ka Tarika

Namaz ka Tarika in Hindi Ka Time

Namaz Padhne ka Tarika

Namaz ka Tarika – नमाज़ पढ़ने का तरीका

للصلاة، وجه القبلة واطوي يديك قائلًا الله أكبر (التكبير) بنية الصلاة.
اقرأ سناء بعد ربط يديك. يمكنك قراءة كل ما تعرفه.
كلمات سناء المشهورة هي هكذا: “سبحانك الله وبحمدك وطبرك إسمك وتعالى جدك ولا إله غيرك”.
بعد هذا اقرأ تافوز. كلمات التعوّج هي “أوزو بالله مناش الشيطان نرجيم”. بسم الله الرحمن الرحيم.”
وبعد ذلك اقرأ سورة الفاتحة.
وبعد سورة الفاتحة اقرأ سورة أخرى.

بعد ذلك قل الله أكبر واذهب إلى الركوع.
وبعد الركوع، سبح الله. لك أن تحمد الله بكل الكلمات التي تريدها. ومن كلمات التسبيح المشهورة ” سبحان ربي العظيم “
بعد ذلك قم من الركوع وقل: سامي الله لمن حميدة.
وبعد الوقوف، قل بالتأكيد: “ربنا ولك الحمد، حمدان قصيران مبارك فيه”.
وبعد ذلك يسجد ويقول الله أكبر.

وفي السجدة أقرأ سبحان الله مرة أخرى. لك أن تحمد الله بكل الكلمات التي تريدها. كلمات التسبيح المشهورة هي ” سبحان ربي الأعلى “
وبعد ذلك قام من السجود وهو يقول الله أكبر.
ثم يسجد مرة أخرى ويقول الله أكبر.
حمدوا الله مرة أخرى في السجدة. لك أن تحمد الله بكل الكلمات التي تريدها. أو قل ما يقوله الجميع عادة، “سبحان ربي الأعلى”
اجلس في التشهد واقرأ التحيات أولا.

بعد هذا اقرأ دارود ابراهيم.
بعد هذا اقرأ Dua-e-Masura. يعني أي صلاة تختلف عن الآيات القرآنية. ولا ينبغي أن تكون تلك الصلاة من القرآن. اطلب ما تريد بكلمات واضحة. يجب أن تكون كلمات الصلاة باللغة العربية فقط.
وبهذه الطريقة، يمكنك السلام من خلال تقديم ركعتين نماز. بقول “السلام عليكم ورحمة الله” يجب أن تحيوا بعضكم البعض بشكل مباشر وعكس.

नमाज़ के लिए क़िबला रुख होकर नमाज़ के इरादे के साथ अल्लाहु अकबर कह कर (तकबीर ) हाथ बांध लीजिए।
हाथ बाँधने के बाद सना पढ़िए। आपको जो भी सना आता हो वो सना आप पढ़ सकते है।
सना के मशहूर अल्फाज़ इस तरह है “सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका”
इसके बाद त’अव्वुज पढ़े। त’अव्वुज के अल्फाज़ यह है “अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम।”
इसके बाद सुरह फातिहा पढ़े।
सुरह फ़ातिहा के बाद कोई एक सूरा और पढ़े।

इसके बाद अल्लाहु अकबर (तकबीर) कह कर रुकू में जायें।
रुकू में जाने के बाद अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है, “सुबहान रब्बी अल अज़ीम”
इसके बाद ‘समीअल्लाहु लिमन हमीदा’ कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये।
खड़े होने के बाद ‘रब्बना व लकल हम्द , हम्दन कसीरन मुबारकन फिही’ जरुर कहें।
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए।

सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है “सुबहान रब्बी अल आला”
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठकर बैठे।
फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए।
सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। या फिर वही कहें जो आम तौर पर सभी कहते हें, ‘सुबहान रब्बी अल आला’
तशहुद में बैठ कर सबसे पहले अत्तहिय्यात पढ़िए।

इसके बाद दरुदे इब्राहीम पढ़े।
इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े। मतलब कोई भी ऐसी दुआ जो कुर’आनी सुरों से हट कर हो। वो दुआ कुर’आन में से ना हो। साफ साफ अल्फाज़ में आपको अपने लिए जो चाहिए वो मांग लीजिये। दुआ के अल्फाज़ मगर अरबी ही होने चाहिए।
इस तरह से दो रक’अत नमाज़ पढ़ कर आप सलाम फेर सकते हैं। ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहकर आप सीधे और उलटे जानिब सलाम फेरें।

Fajar ki Namaz ki Niyat

ركعتان الفجر سنة
عقدت العزم على أن أصلي ركعتين من صلاة الفجر من أجل سنة رسول الله صلى الله عليه وسلم، وجهي نحو الله تعالى نحو الكعبة الشريفة، الله أكبر.

وركعتا الفجر واجبة
عزمت على أن أصلي ركعتين من صلاة الفجر في سبيل الله تعالى وأوجه وجهي نحو الكعبة الشريفة، الله أكبر.

هناك إجمالي 4 ركعات في الفجر.

फज्र की दो रकअतें सुन्नत हैं
मैंने ईश्वर के दूत की सुन्नत के लिए भोर की दो रकअत प्रार्थना करने का फैसला किया, ईश्वर उन्हें आशीर्वाद दे और उन्हें शांति प्रदान करे, मेरा चेहरा सर्वशक्तिमान ईश्वर की ओर, पवित्र काबा की ओर, ईश्वर महान है।

दो भोर की नमाज़ अनिवार्य है
मैंने सर्वशक्तिमान ईश्वर की खातिर भोर की दो रकअत नमाज़ पढ़ने और अपना चेहरा पवित्र काबा की ओर करने का निर्णय लिया।

फज्र में कुल 4 रकात होती हैं।

Zohar ki Namaz ki Niyat ( नमाज का तरीका )

जोहर की चार रकात सुन्नत
नियत की मैंने चार रकत नमाज़ जुहर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

जोहर की चार रकात फर्ज
नियत की मैंने चार रकत नमाज़ जुहर की फज्र वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

जुहर की दो रकात सुन्नत
नियत की मैंने दो रकत नमाज़ जुहर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

जुहर की दो रकात नफिल
नियत की मैंने दो रकत नमाज़ जुहर की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

Spread the love

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top